वो तेरा दिया हुआ सुनापन
वो खुबसूरत अधूरापन
वो तेरी दी हूई मुहब्बत
और कचोटते हुए एहसास से
मान लु हो गयी हूँ पुरी
हाँ यही समझ सकी हूँ मैं
जिन्दगी हो जाती है पुरी
यार की यारी से
प्रेम की पाती से
इश्क की रंगत से
अधूरे प्यार के एहसास से
उसके ख्याल से
दीदार की आस से
उस एक पल के ख्याल से
इसलिए तो कहा है
मुहब्बत जिन्दगी है।।
उम्दा रचना.प्रेम को समझाने का एक अलग अंदाज़