आज की बेटी
मिलने लगा है बेटियो को भी प्यार
मिलने लगे है बेटियो को भी
बेटो के समान अधिकार
अब बेटियो को नही मारा जाता
अब उनको नही धिक्कारा जाता
बेटिया भी लगी है पढने
दुनिया मे आगे बढने
बेटिया लेने लगी है बेटो का स्थान
अब बेटियो का नही होता अपमान
शायद दुनिया ये चुकी है मान
कि बेटियो के बिना अधुरा है सन्सार
बेटियो के बिना नही लग सकती
उनकी नैया पार
पूरे होते है बेटियो के सपने
उनको भी पहचानने लगे है उनके अपने
बढता रहे यू ही उनका मान सम्मान
वो भी पाये इस दुनिया मे उच्च स्थान
हु मै उन सबका शुक्रगुजार
जिन्होने बेटियो का भविश्य दिया सन्वार
विक्रम वर्मा”चन्चल”
बहुत अच्छे विचार है ..थोड़ा रचना में वर्तनी पर ध्यान दे..बहुत अच्छी शुरुआत ..
धन्यवाद जी मै आपकी बात पर गौर करुगा