शशक्त महिला, मजबूत समाज पर महिला शशक्तिकरण आएगा कैसे।
परुषों पर चढ़ा है जो पुरुषत्व का नशा वो इतनी जल्दी जायेगा कैसे।
क्या है किसी नारी का पति, जिसकी दिली इच्छा मजबूर होने की हो।
खाना बनाने, बर्तन, झाड़ू पोछा और बीबी बच्चों के कपडे धोने की हो।।
कौन है नर यहाँ जो खुसी खुसी जोरू का गुलाम कहलवाना चाहेगा।
सदीओं की बादशाही हुकूमत को पल भर के लिए भी गवाना चाहेगा।।
किसकी ख्वाइस उमड़ रह दुधमुहे बच्चे की गंदगी साफ करने की।
किसकी हिम्मत है आधी रात को घर आती बीबी को, माफ़ करने की।।
कौन महापुरुष कदम बढ़ाएगा यहाँ, माँ बहन बेटी की गाली बदलने को।
किसकी फिकरत गवारा करेगी अपनी अहंकारी पुरुषत्व कुचलने को।।
पड़ जाये थप्पड़ अगर किसी नारी का तो कैसे कोई नर बर्दास्त करेगा।
पत्नी के दीर्घायु और सतायु हेतु कौन सातों सोमवार उपवास करेगा।
महिला शशक्तिकरण के लिए पुरुष के अहंकारी ढांचे को बदलना होंगा
थोड़ा ही सही, पर अपने कदम पीछे, और पत्नी को आगे करना होंगा।।
सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
सुरेंद्र आपकी रहकना के भा अच्छे है …. शब्दावली पर ध्यान देने की आवश्यक्ता है !!
धन्यवाद सर आपकी इस अमुल्य सुझाव के लिए
आप अपना आशीर्वाद बनायें रखें।।
मेरी आपसे प्रार्थना है की उन शब्दों जिसपर आप कुछ कहना चाह रहे है स्पष्ठ करें तो मुझे अति प्रशन्नता होंगी।
प्रिय सुरेन्द्र,
किसी भी रचना की सुंदरता उसकी भाषा शैली पर निर्भर करती है ………रचना में वर्तनी का सही होना अतिआवश्यक है, एव टट्टी जैसे शब्द के स्थान पर उसके पर्याय, पखाना, शौच, आदि जैसे उपयोग किये जा सकते है !
आपके ह्रदय विशालता का बहुत बहुत धन्यवाद एव आभार !
सर मेरे पास शब्द नहीं आपके प्रशंशा के लिए। आप इसी तरह आलोचनात्मक भाव रखते हुए मेरी काव्य रचना में जान सकते है। मुझे बहुत अच्छा लगा आपका सुझाव, और मै इस कविता से उस शब्द को हटा लिया हूँ।। आगे भी आपके अमुल्य सुझाव की आशा में रहूँगा।।
धन्यवाद सुरेंद्र …. हमारा मकसद आलोचना करना नहीं बल्कि एक दूजे से कुछ न कुछ सीखना है !!
आपके अमूल्य वचनो का ह्रदय से आभारी !!
श्रीमान निवातिया जी, यकीन मानिये मेरे आलोचनात्मक शब्द का मतलब आलोचना न होकर कविता की सुन्दरता में आने वाली रुकावट को जाहिर करने से था। आप को यकीन दिलाता हूँ मुझे आत्म प्रशंशा के बजाय अपनी कमी जानने की उत्सुकता ज्यादा है। आपको महती धन्यवाद।।।
नया होने से और असम प्रदेश में रहने से हिंदी का उपयोग नहीं कर पाता, शब्द चयन में भी कमजोर हूँ, पर आप लोगों का योगदान मिला तो कुछ कर जाऊंगा।
पुनः धन्यवाद
सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी बहुत अच्छे और निवातियाँ जी के सुझाव अमूल्य हैं.
आपका आभार, babucm जी।।।
आपकी लेखन क्षमता अच्छी है जारी रखिये ………….!!
आपके अप्रितम स्नेह का आभारी …आपका डी. के. निवातियाँ !!
सत्यपरक व्यंग…………………