एक शक्की पत्नी का पति
जब भी कहीं से घर आता।
पत्नी उसकी जाँच पड़ताल करती
लाचार पति बेबस घबराता।।
अगर पति के कपड़ों पर कोई
बाल भी दिखाई दे जाता।।
तो तांडव मचाती और
उठा लेती थी सिर पर आसमान।
एक बार पति के कपड़ों पर
नहीं मिला बाल का, नामोनिशान।।
न जाने क्या सुझा उसको
लगी फूट-फूटकर रोने
बोली- तो अब गंजी औरतें भी
नहीं छोड़ी तुने।।
लाचार पति ने कहा
हे हृदेश्वरी, प्राणेश्वरी, प्राणप्रिये,
सहा भार्या, दारा,
सहधर्मिणी, गृहस्वामिनी
प्राणवल्लभे, नयनतारा।।
वामांगीत्रिया, अर्द्धांगिनी,
गृहिणी, कलत्र, कान्ता,
इन सबसे बढ़ कर मेरे
2 बच्चो की माता ।।
तेरे चरणों का दास,
तुमको कैसे समझाता।।
पहले जो तुम बाल
मेरे कपड़ो पर पाती थी।।
वजह तुम dove का शम्पू
नहीं आजमाती थी।।
नुरा कुश्ती के क्षण
जो तेरी निशानी रह जाती थी।।
मेरे जैसे संत और पत्नी प्रिय
को, व्यभाचारी ठहराती थी ।
आज कल तुम dove शम्पू
जो तुम करती हो।।
निचे से ऊपर के बालो को
बड़े प्यार से धोती हो।।
नुरा कुश्ती करके भी
तेरा बाल बाका नहीं हो पाता है।।
हक़ तुझे बेशक है, शक से देख,
पर यारी भी देख ।।
ऐब हम में देख पर प्राणप्रिये!
वफ़ादारी भी देख ।।
सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”
कमाल की रचना………..
धन्यवाद योगेश कुमार ‘पवित्रम’ जी
आपके उत्साह वर्धन की निधि ही हमारी शक्ति है।
Nice work Surendra. Also read the following
औरत की ईर्ष्या
औरत को पुरुषों ने जब भी यथोचित सम्मान दिया
औरत की ईर्ष्या ने हीं तो फिर उसका नुक्सान किया
सारी नारियां केवल यहाँ महिला उत्थान की बात करें
लेकिन अपनी क्षुद्र सोच का वो न कभी परित्याग करें
यदि कोई महिला अपने सहकर्मी से सहयोग बढ़ाती है
घर में पत्नियों की ना जाने क्यों भृकुटियां तन जाती हैं
हर बात में उनकी शक करने की जो प्राचीन बीमारी है
इसके आगे नतमस्तक हो कर तो सारी दुनियां हारी है
बहन, बेटी और माँ के शिव कोई रिश्ता इन्हे मंज़ूर नहीं
फिर भी तुमने हिम्मत की तो माँ चंडी के दर्शन दूर नहीं
पत्नी द्वारा परपुरूषों की की तारीफ़ को तो सहना होगा
पतियों को परस्त्रियों को केवल अम्मा बहना कहना होगा .
मधुकर
शिशिर ‘मधुकर’ जी कमाल की रचना लिखी है आपने ।।
आपकी पैनी नजर और और समाज को देखने की नजरिया का मै कायल हूँ ।। आपको धन्यवाद किन शब्दों से दू मालूम नहीं।। आप आशीर्वाद बनाये रखे मुझपर।।
Madhukarji
Kahi aap apni sahkarmi ko apni premika to nahi manne lage ?…….vaise kisi aur ki amanat ko apna maan lene ke baare mai kya kahenge aap?…pls do answer
अहसान भाई, मधुकर जी ने अपनी वेदना के शब्द में सब कुछ कह डाला है। आगे कुछ कहने को शेष नहीं। बस समझने वाला जो समझे…..हा हा हा हा हा…
बहुत अच्छे सुरेन्द्र ……….और प्रत्युत्तर में शिशिर ने कमाल कर दिया !!
आप दोनों को बहुत बहुत बधाई !!
महती धन्यवाद डीके सर…. अपनी दिव्य दृष्टी बनाये रखिये और मुझपर अपना आशीर्वाद बरसाते रहिये।।