Homeगणेश गम्भीरठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर विनय कुमार गणेश गम्भीर 12/03/2012 No Comments ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर आ गयी है बहार चेहरे पर एक संदेह सर उठता है , रंग आये हजार चेहरे पर ! झुर्रिया चादर है फूलो की , बन गयी एक मजार चेहरे पर लाश पाई गयी सुधारो की, दाग थे बेशुमार चेहरे पर! आज गम्भीर लिख ही डालेगा , अपने सारे विचार चेहरे पर ! Tweet Pin It Related Posts ये शौक क्या कि पहले कोई गम तलाशिए About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.