यारो कूछ हो न हो
एक बहन तो होनी चाहिएँ..,
बडी हो तो साथ पढने के लिए,
छोटी हो तो हमेशा लडने के लिए.,
बडी हो तो ख्याल रखाने के लिए,
छोटी हो तो मजा चखाने के लिए.,
बडी हो तो पापा की मार से बचाने के लिए,
छोटी हो तो पापा से पिटवाने के लिए.,
कूछ न भी हो
मगर एक बहन तो होनी ही चाहिए…!!!
बडी हो तो होमर्वक करवाने के लिए,
छोटी हो तो सर खिलाने के लिए.,
बडी हो तो प्यार जताने के लिए,
छोटी हो धूम मचाने के लिए.,
बडी हो तो स्कूल छोडने आने के लिए,
छोटी हो तो स्कूल छोडने जाने के लिए.,
यारो कूछ हो न हो
एक बहन तो होनी चाहिए,
जिदंगी को खूशहाल बनाने के लिए…!!!
बड़ी हो तो हमारे रूठने पर मनाने के लिए.,
छोटी हो तो हमसे रूठ जाने के लिए ..,
बडी बहन मिल बाट के खाएँ,
छोटी हमसेँ चीजे छूपाएँ.,
बडी हमारे जेब मे पैसे डाले,
छोटी जेब से पैसे निकाले.,
बडी हो तो बाहर घूमाने के लिए,
छोटी हो तो घर मे ही नचाने के लिए.,
बडी हो तो हमसे हार जाने के लिए,
छोटी हो तो हमे हराने के लिए.,
रिश्तो तो बिखर जाते है अरमानो की तरह,
मौसम तक बदल जाते है इंसानो की तरह,
चाहे कितने ही बूरे हो उनके भाई,
बहन बनी रहती है उनकी परछाई.,
भाई के दर्द हो चाहे कितने भी गहरे
बडी बहन भाई के सारे दर्द सहले.,
दूनिया भाई को चाहे जितना रूलाएँ
छोटी बहन उसको झट से हसाएँ.,
यारो कूछ हो ना हो
एक बहन तो होनी ही चाहिएँ,
अंत मे
विदाई के वक्त रूलाने के लिए.,
अंत मे
अपने भाई को अकेला छोड जाने के लिए.,
फिर क्या
पराया धन होकर भी बहन पराई नही होती..,
शायद इसलिए हँसकर उसकी विदाई नही होती…!!!
आलोक रचना के माध्यम से भाई बहन के अटूट प्रेम के रिश्ते को बहुत सुंदरता से परिभाषित कर दिया आपने …..खूबसूरत रचना !!
अप्रतिम! बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने भाई बहन के रिश्ते का. घर में थोड़े बहुत संस्कार ज़िंदा रखने के लिए बहन-बेटी तो होनी ही चाहिए.
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