” बादलों में छुपी हुयी पानी की बूंदें ….
रण की सुखी मिटटी में एक बूँद की आस ..
ऐसे ही तेरे चहरे के होठों के नीचे
छुपी हुयी एक प्यारी सी मुस्कान …..
और रण की मिटटी के मृगजल की तरह
तेरे मुस्कान की मेरी एक ख्वाहिस …..
मौसम के नए फूलों की खुशबू
और मोर के पुरे साल के इंतज़ार के बाद बारिश की आस ,
वैसे ही एक तुझे मिलने मेरी आस ,
बच्चे की छुपी हुयी एक नादान सी मुस्कराहट
देखने को जितना मन करे …
उतनी ही एक तेरी वही नादान सी
मुस्कराहट देखने की ख्वाइश …
बस ,ख्वाहिशों से भरी जिंदगी में ,
एक तेरी ख्वाइश दुशवार .
बारिश में जैसे एक बिजली की चमक , उतना ही सही
बस उस पल भर के लिए
तेरी एक मुस्कराहट देख लेने दे यार ….”
-मयूर सिंधा
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आपकी दोनों रचनाओं में प्यार का सूंदर नशा झलकता है. अति सूंदर
Thanks a lot Sir….!!!
बहुत सुंदर………… और प्यारी सोच
इस तनाव से भरे जहान में मुस्कुराहट की कीमत बयां होंगी
जब खिलखिला कर हँस दोगे तो सितारों की बादियां होंगी।
तेरी निगाहें पोशिदा है अब तलक मेरे चेहरे पर
इस हसी एहसास की जमाने को खबर कहाँ होगी ।
Thanks a Ton…!!!