ग़ज़ल –सुहाना प्यार का मंजर !!
सुहाना प्यार का मंजर क्यों बर्बाद करती हो !
नज़र आता नहीँ या नज़रंदाज़ करती हो !!
मस्त जवानी छाई जो ढल जायेगी इक दिन !
इठलाते जौवन पर क्यों इतना नाज़ करती हो !!
प्यार करने की घड़ी ये पावन आई है !
कुबूलो प्यार का तोफा मना क्यों आज करती हो !
अनुज ” इंदवार “
अच्छा मशवरा है अनुज जी ।
Nice………………………..
मरजी है नहीं लगाता दिल कोई|
अनुज जी अति सुंदर
बहुत खूब अनुज ……अति सुन्दर !!
क्या कहना इस अंदाज़ का !!