ग़ज़ल –!! चलो इंसान बन जायें !!
आज हम साथ मिलकर के एक पहचान बन जायें !
न तो हिंदू ,न ही मुस्लिम ,चलो इन्सान बन जायें !!
नफरत की गलियों में ना जज्बात घायल हों !
चलो इक दूसरे की हम यहाँ मुस्कान बन जायें !!
ना चाहिये बाबरी मस्जिद ना तो मंदिर अयोध्या का !
जहाँ अरमान पूरे हों वो हिंदुस्तान बन जायें !!
इसे गजनी नें भी लूटा यहाँ जयचंद कायर था !
लगा दें जान की बाजी चलो चौहान बन जायें!!
लाल के कैद के बदले जिसने मुल्कियत माँगी !
नमन कर हम उसे टीपू सुल्तान बन जायें !!
जिहादी जंग के ऊपर चलो मिलकर लड़ेंगे हम !
मिटेगा भय का हर साया चलो तूफान बन जायें !!
अनुज “इंदवार “
सकारात्मक सोच को मुखर करती खूबसूरत प्रेरक रचना …………बहुत अच्छे अनुज !!
प्रेरणादायी पंक्तियाँ | एक कवि की सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन | साधुवाद
आपकी अन्य रचनाएं भी पढ़ी सभी बहुत अच्छी हैं |