आज फिर बच्चा बनने का दिल करता है।
फिर से कुछ शैतानी करने का मन करता है।
अपने फिर से बचपन के दोस्तों से मिलने का मन करता है।
उनके साथ अपने दिल की बातें करने का मन करता है।
क्या दिन थे वो, स्कूल से वापस आने के बाद,
अपने बहन भाई से बातें करना,
कुछ उनकी सुनना, कुछ अपनी सुनाना।
उनके साथ लड़ना,झगड़ना और फिर एक हो जाना।
आज फिर से वो दिन वापस लाने का मन करता है।
भूख लगने पर माँ से खाने की फरमाइश करना,
और फिर से माँ के हाथ का बना खाना खाने का मन करता है।
फिर से बच्चा बनकर माँ की बाँहों में सोने का मन करता है।
पापा की अंगुली पकड़कर इधर उधर घूमने का मन करता है।
आज फिर बच्चा बनने का दिल करता है।
Dr Swati Gupta
बचपन की स्मृतियों का स्मरण कराती अच्छी रचना …………….!!
धन्यवाद श्रीमान।