किस दुनिया में जीने की बात करते हो यारो
जिसमे मरने के लिए भी कोई बहाना चाहिये !!
जिंदगी मिली है जीने के लिए शौक से जिये जा
लोगो को तो गम में डुबाने का बहाना चाहिये !!
क्या रक्खा है यारो दोस्ती-दुश्मनी के खेल में
मगरूर लोगो को तो मिटाने का बहाना चाहिये !!
लगा लेते है गले दुश्मन को भी प्यार से कभी-कभी
फकत दोस्ती से हाथ मिलाने का बहाना चाहिये !!
यूँ तो जमाने के हाथो हमने खाये है धोखे बहुत बार
खिला दे ठोकरे दर दर, खिलाने का बहाना चाहिये !!
मौका मिलते ही मय के नाम जहर पिला देते है लोग
दुश्मनो को तो एक बार पिलाने का बहाना चाहिये !!
आंसुओ के सागर हथेली में वो लिए बैठे है हर पल
बहा दे जब भी मिले मौका, रुलाने का बहाना चाहिये !!
सीखा है हँसना और हँसना “धर्म” ने जग में यारो,
हमको तो बस मिला कोई हँसाने का बहाना चाहिये !!
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डी. के निवातियाँ [email protected]@@
बहुत उम्दा निवातियाँ जी, प्यार और धोखे का बहाने के साथ चित्रण बहुत अच्छे !
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर्वजीत जी !!
Beautifully expressed……………
धन्यवाद शिशिर जी ……..!!
very nicely expressed.
धन्यवाद गिरिजा जी ……..!!