नटखट चंचल शर्मीली सी ,
मूरत सी सुन्दर प्यारी सी |
मम्मी की पापा की भोली सी ,
छोटी है गुडिया कोमल सी ||
नटखट चंचल शर्मीली सी ……………
महके आँगन उससे अपना ,
वो है धन दौलत घर की |
सुक्षूषा भावना रखने वाली ,
ऐसी आली वो है तरुणी ||
नटखट चंचल शर्मीली सी ……………
सुहानुभूति वो रखती सबमें ,
चिर अमूल्य गुडिया सी |
पावस की तरहा प्रेम बरसाती ,
पंख फैलाये उड़े अम्बर में ||
नटखट चंचल शर्मीली सी ……………
खेद दिखाने वाली सुदृत मितभाषी ,
करे लगन से काम सभी न्यारी सी |
विचित्र प्रतिभा है वो तो सदाचारी ,
सहचर है मम्मी पापा की अनुरागी ||
नटखट चंचल शर्मीली सी ……………
आकाशगामिनी है न्यारी प्यारी सी ,
सबको है वो बड़ी अजीज रानी सी |
है अश्फ़ाक मेरे जीने की अस्ली जी ,
है आकिबत जीवन के असफ़ार की ||
“मनोज कुमार”
बेटी को समर्पित भावनात्मक रचना …..अति सुन्दर !!
हार्दिक आभार निवातियाँ डी. के जी
very nice verma ji