वो बी ए पास कर था बेकार
सब कहते, जा अब आय कर
नौकरी मिली, इन्स्पेक्ट्र पद पर
विभाग था आय्रकर!
वो योगदान दिया विभाग जाकर
साहब ने कहा लो रजिस्तेर
वसूलो बकया आयकर बाजार जाकर
वो चला बजार,मुफस्सल शहर
अधिकान्स अनपड, गॅवार
वो पास जाकर कहा ओ दुकान्दार
आप आयकर हमको दे !
उसने क्या सोचा जनाब कहते ऊसे
कि वो आय कर ऊसे दे दे
बौख्लाए हुए पूचा मै आय कर आपको क्यो दू
इन्स्पेकतर साहब बार बार कहा आप आयकर हमे दे
दूकान्दार कहा चिल्लाकर देखो एक आया लाट्साहब बन्रकर
कहते है मै आय कर ऊसे दे दु
आयकर और आय कर शब्द जाल मे लोग बरसने लगे ऊनपर
कहने लगे जा जा अपना आय तु खुद कर
क्यो लोग तुम्हे दे अपने आय कर?
जान बचाया इन्स्पॅक्ट्र भाग कर!
प्रदीप जी रचना भावपूर्ण है मगर शब्दावली के सही तालमेल और वर्तनियों पर ध्यान न देिए जाने के कारण रचना अपना वास्तविाक रूप नहीं ले पायी है !