जब प्रेम टपकता हो आँखों से
और एक आकर्षण हो बोली में
तब ही तो आनंद है आता
प्रीतम प्रिया की होली में
जब रंग लगाती है गोरी
दोनों हाथों से माथे पे
कह देती है साजन से वो सब
जो कह ना पाती वो बातों में
प्रीतम भी अपनी प्रिया की
मन की बात सुन लेता है
उसके गालों पे रंग लगा
सारी सहमति दे देता हैं
भावों की इस बातचीत से
मन को ठंडक जो मिलती है
वो तो कभी नहीं मिलती
माथे पे चन्दन रोली से
जब प्रेम टपकता हो आँखों से
और एक आकर्षण हो बोली में
तब ही तो आनंद है आता
प्रीतम प्रिया की होली में
शिशिर “मधुकर”
मोहब्बत की गहराई को भावों से प्रकट करने का खूबसूरत अंदाज़ …….. बहुत बढ़िया मधुकर जी !
Thank you very much Sarvjeet for your lovely comment
प्रेम के माधयम से होली की वास्तविक महत्ता का अर्थ बताती अच्छी रचना !!
त्योहारों की बहुमूल्यता मानवीय जीवन में प्रेम और सौहार्द कायम करना है !!
Thanks a lot Nivatiya ji for your detailed comments.
Shishir
Shishir Madhukar is your view to define love is heart touching….
Its my own thinking that all festival has one purpose .. to live with love, make love and share love…
Surendra, Thank you so very much for your comment. I agree with your observation.
बहुत ही प्यारी रचना प्यार के रंगों की…रंगों से निखरते प्यार की…वाह सुन्दरतम !! मधुर रचना मधुकरजी की.
Thank you so very much Sharma Ji for your lovely comment
मधुकर जी होली पर आपकी रचना अति सुंदर लगी आपको बहुत बहुत बधाई
Thanks Akhilesh ji for liking. I am sure if you read my other poems on Holy you will love them as well.