आसमाँ सतरंगी और जमीन नीला है आज होली में
कृष्ण के रंग में शिव का भंग मिला है आज होली में
प्रेम की गंगा आस्था कमंडल में सिमट रही है आज होली में
शिव के डमरू पर कृष्ण गोपियां थिरक रही है आज होली में
सत्य का त्रिशूल धारण किए लब की हर हर बोली में
फागुन के गीतों से आती है ओम की आवाज होली में
शिव की छवि बनी है निराली साधना की रंगोली में
वैराग्य की मालाएँ सजा रही हैं भावना आज होली में
आओ मिल कर झूम लें डोलें खुशी की आज डोली में
हर रंग मिल कर धवल बना है प्रकाश आज होली में
समर्पण के फुहारों से गीली हो रही चोली में
हृदय बना है नन्दी कैलाश आज होली में
Holi ki aap sabhi ko kardik subhkamnayen
हैप्पी होली उत्तम जी ………