किनारे
उनकी आँखों की गहराई में
ऐसे डूबे हैं हम …………
कि आज भी भटक रहे हैं
किनारे की तलाश में ………..
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
किनारे
उनकी आँखों की गहराई में
ऐसे डूबे हैं हम …………
कि आज भी भटक रहे हैं
किनारे की तलाश में ………..
शायर : सर्वजीत सिंह
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वाह क्या बात है?
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी !
प्रेम के सागर की गहराई को बयान करने का खूबसूरत अंदाज ……..लाजबाब सर्वजीत जी !!
प्रतिक्रिया बयान करने का खूबसूरत अंदाज निवातियाँ जी !