देखो क्या से क्या हो गया समय दौड़ता चला
और हमें भी दौड़ाता चला गया ।
दिल,दिमाग, सॉसे,धड़कने
सभी आगे बढ़ते गए
बस दिल की गहराई में बंद
कुछ यादें ही पीछे छूट गए ।।
दिन से राते बदल गई,
रातो से दिन बदल गए ।
कभी गम खुशी में बदल गए,
कभी खुशी अॉसू बन बह गए
और जाने कब मेरे सपने
किसी और के सपनो से बदल गए ।।
मैं सोचती ही रह गई
समय बढ़ता ही चला गया
जब खुद को तन्हाई में पाया
तो पाया,
मेरे हिस्से तो यादों का वह पिटारा ही रह गया,
जिसे भूल समझ मैंने
दिल के एक कोने में था छिपाया।।
समय के साथ मानव मन एवं अाशाओं में परिवर्तन का सुंदर चित्रण
मनभावों का सजीव चित्रण
सुंदर अभिव्यक्ति …..!!