इक मासूम कलि बन कर तुम आई मेरे जीवन में
जूही की खुशबु की तरह तुम समाई मेरे जीवन में
मैं तो बिखरा पड़ा था पतझड़ के सूखे पत्तों की तरह
तेरे प्यार ने नई दिशा है दिखाई मेरे जीवन में
वो मेरा साया था कि तेरा साथ जो बढता गया विरानों में बेधड़क
तेरे प्यार की नहर ने हरियाली है लायी मेरे जीवन में
मैं अधूरा ही रहता बिना धागे के सूई की तरह
तुमने रिश्तों की माला है पिरोई मेरे जीवन में
आलीशान महल सा बनाया है हमने ये आशियाँ
तेरे संयम की ईंटों से मिनारे हैं बनाई मेरे जीवन में
तेरी आँखों में मिलता है मुझे जन्नत का सुकून
मन्दिरों सी शान्ति तुझ से है छायी मेरे
uprokta kavita me kali aur khushboo me matrao ki mistake hai. sory alochana karana mera makasd nahi hai