Homeदेवेन्द्र प्रताप सिंह 'आग'कैसे समझाऊं कैसे समझाऊं कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग" देवेन्द्र प्रताप सिंह 'आग' 18/03/2016 4 Comments अब कैसे समझाऊं कलियुग के इंसान कुकर्मी को शर्म हया को छोड़ सभी ने पहन लिया बेशर्मी को बड़ी धर्म की बातें करते जो बस सोशल मंचों पर आग लगा दूँ दिल कहता ऐसे इंसान अधर्मी को ??? कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग” 9675426080 Tweet Pin It Related Posts मेमनो की खाल में भेडिये होली इस साल की बहना About The Author "आग" 4 Comments निवातियाँ डी. के. 18/03/2016 देवेन्द्र जी आपकी रचनाओ में आपके ह्रदय की आग साफ़ झलकती है ………..!! vey nice Reply कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग" 18/03/2016 शुक्रिया निवातिया जी Reply कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग" 18/03/2016 Nice मत बोलो जी Nice का मतलब बेवकूफ होता था पहले 200 साल पुरानी डिक्शनरी में देखे Reply निवातियाँ डी. के. 18/03/2016 माफ़ कीजियेगा देवेन्द्र जी वर्तमान परिपेक्ष्य में “NICE” का अर्थ अच्छे से लगाया जाता है…..!! Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
देवेन्द्र जी आपकी रचनाओ में आपके ह्रदय की आग साफ़ झलकती है ………..!! vey nice
शुक्रिया निवातिया जी
Nice मत बोलो जी
Nice का मतलब बेवकूफ होता था पहले
200 साल पुरानी डिक्शनरी में देखे
माफ़ कीजियेगा देवेन्द्र जी वर्तमान परिपेक्ष्य में “NICE” का अर्थ अच्छे से लगाया जाता है…..!!