Homeअज्ञात कविये रैन ये रैन Saviakna अज्ञात कवि 20/03/2016 4 Comments तन मोहक, कण – कण खिलता रूनझुन – रूनझुन पायल बजता करती अठखेलियाँ होठों पर नथनी भाव विह्वल चंचल चितवन घुघट से झाकती दुल्हन कजरारे पिया को बैचैन नयन हाथों की मेहदी को छु के कर दे यादगार ये रैन. ……….. Tweet Pin It Related Posts तुम ना आये क्यों दर दर भटकता है तू होली: प्रेम सूत्र About The Author Saviakna 4 Comments Shishir "Madhukar" 20/03/2016 स्त्री के मन भावों का सुहाग रात पर अति सुन्दर चित्रण. Reply Saviakna 20/03/2016 बहुत बहुत धन्यवाद Reply निवातियाँ डी. के. 21/03/2016 अति सुन्दर ……………!! Reply Saviakna 21/03/2016 Bahut…………. Dhanyabad Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
स्त्री के मन भावों का सुहाग रात पर अति सुन्दर चित्रण.
बहुत बहुत धन्यवाद
अति सुन्दर ……………!!
Bahut…………. Dhanyabad