हर वक़्त तेरी इबादत थी !
गुनाहों की बस ज़मानत थी !!१
अब जाकर मुझे सुकूँ मिला !
पहले तो उनकी हुकूमत थी !!२
एक तेरी ही आहट थी !
ज्यादा कुछ न चाहत थी !!३
मेरे ख़्वाबों में बस तुम हो !
तेरी ही बस जरुरत थी !!४
किस्मत की बदमाशी थी !
तुझसे दिलको राहत थी !!५
उनके होठों पर नाम हमारा है !
पूरी हुई जो मेरी “हसरत” थी !!६
हट गई जो काली परछाई थी !
किस्मत से क्यों शिकायत थी !!७
ना ज़ाने क्यों “शशि” तड़पता था !
जाने क्यू ये इतनी “ज़हमत” थी !!८
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र. ९९७५९९५४५०