कवि – अनुज तिवारी
माँ का आँचल छीन रहे,
जो पाला इन हुरदंगो को !
अस्मत माँ की मैली करते,
कर हिंदू-मुस्लिम दंगो को !!
आज पाक संग मस्ती करते,
गाँवों मे गलियारों मे !
पर देश का सौदा कर डाला,
कूछ घर के गद्दारों ने !
लाल बहादुर जी का वीणा,
गर कोई नहीँ उठाएगा !
एक अखंड भारत का सपना ,
सपना ही रह जायेगा !
आज की वर्तमान परिस्थितियों पे कटाक्ष करती सुन्दर रचना ..
Thanks…शुक्ला जी
….
बहुत खूबसूरत अनुज…….. आपका चितंन सार्थक और विचारणीय है ….!!
Thanks sir ..
….
Telling todays truth in a very special manner