तुम ही हो माँ,तुम ही बेटी
तुम ही हो अपना सारा जहां
तुममे ही बसती कई रूप सारी
ईशवर की सौन्दर्य रचना का नाम है नारी
अनेक रूप हैं नारियाँ तुम्हारे
और कही नही आस पास है हमारे
करती हो सृजन तुम जीवन का
करती हो जीवन का संचार
घर परिवार सभांलती तुम हो
एवरेस्ट पर फतह लहराती तुम हो
अधूरे घर को पूरा करती तुम हो
सवॅत्र इस जहां पर तुम ही तुम हो
तुम नही होती तो क्या होता
जाने इस संसार कैसा होता
जननी हो तुम इस जीवन का
तुम ही इसका आधार
सवांरती हो तुम हमारा भविष्य
लिखती हो तुम हमारा भाग्य
भूमिका है तेरी इतनी बड़ी
लेकिन नही दूनिया समझ रही
पड़ेगी एक दिन नही अभी समझना
कयोकि कल्पना नही जीवन की तेरे बिना
ममता है तुममे कूट कूट कर भरा
पूलकित हो उठती है इससे धरा
पाया हमने ईश्वर का अनूपम उपहार
निसवाथ सेवा करने वाली हे स्त्री शक्ति
करते हैं हम सब नमन तुम्हें बार बार
— कौशल शमाॅ
सुंदर रचना, महोदय… नारी-जीवन को शत शत वंदन..
Nice लाईने,
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नौ