जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले में छुपे बैठे है
उनसे अपना चेहरा छुपाये रखना, नजरे बचाये रखना,
कही कर न जाए दागदार पाक दामन को पाकर मौका
बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना !!
नाम: डी. के. निवातिया
जन्म स्थान : मेरठ , उत्तर प्रदेश (भारत)
शिक्षा: परास्नातक, शिक्षा में स्नातक सहित
विशेष रूचि :- लेखन एव पाठन कार्य में खुद के लिए कुछ समय व्यतीत करना
समस्त कवियों, लेखको एवं पाठको के द्वारा प्राप्त टिप्पणी एव सुझावों का ह्रदय से आभारी तथा सुझाव एवं प्रतिक्रियाओ का आकांक्षी !!
आप मुझ से जुड़ने एवं मेरे विचारो के लिए ट्वीटर हैंडल @nivatiya_dk पर फॉलो कर सकते है, सभी का ह्रदय से स्वागत है !
वर्तमान परिस्थितियों में सही व भावुक सलाह
धन्यवाद शिशिर जी …….!!