दूर रह कर भी तेरा साथ हम निभाएंगे
जुबाँ से कुछ ना कहेंगे पर तुझे सराहेंगे.
धूप जीवन की अगर तेरा बदन जलाएगी
प्रेम का मेघ बन के हम तो बरस जाएंगे.
मेरे सायों के तले जो सदा महफूज़ हुए
नाम ले ले कर मेरा वो भी तुझे सताएंगे .
कोई चिंता न करेगा तेरे ख्वाबों की यहाँ
लोग बस अपनी कहानियाँ हमें सुनाएंगे.
कितना भी साथ में चलते रहो मीलों तक
दो किनारे कभी आपस में ना मिल पाएंगे.
न बुलाया न भुलाया न शिकवा ही किया
अपनी आदत हम अब भी न बदल पाएंगे.
खुली आँखों से हमको तुम अब ना देखोगे
बंद पलकों के सपनो में तो हम ही आएँगे.
शिशिर “मधुकर”
मोहब्बत का एक अंदाज़ ऐसा भी, बहुत अच्छे मधुकर जी !
तारीफ के लिए शुक्रिया, सर्वजीत.
Lagta hai aapki premika ko aapse door kar diya gaya hai…….bahut gahra dukh jhalakta hai.
इमरान आपका व्यक्तव्य रचना की सफलता व सौंदर्य को दर्शाता है. धन्यवाद.
वास्तविक प्रेम की अनुभूति को क्या खूब शब्दों में संजोया है …बहुत अच्छे शिशिर जी !!
Thank you very much Nivaatiyaa ji
itna pyar karna theek nahi kisi ka khyal ho na ho. is dard se bahar ana jaroori hai . rachna mai dard bahar aa raha hai.