मंत्री जी ने कशीदे क्या कैसे कि,
लोग खुश हो गये
और बड़े -२ बोलों पर भी,
वहाँ जयकारे लग गये |
किसने क्या जवाब दिए ,
बस उसमें उलझ कर रह गये
टीo वीo. चैनलों पर भी,
बहस के मुद्दे मिल गये |
अरबों रूपये खर्च कर,
संसद चला कर रह गये
बस अच्छे भाषणों को,
लोग ताली देकर रह गये |
पर क्या मकसद है ये संसद,
बस चुटकी लेकर रह गये
छोटी बड़ी समस्याओं के ,
हल धरे के धरे रह गये |
उलझ गये बस इसी में,
कौन क्या यहाँ कह गये
अच्छे भाषणों की जगह ,
संसद को बनाकर रह गये |
अपना अहम बचाने को ,
दूसरों को बुरा भला कह गये
और जवाब देने में ही,
सब कीमती वक़्त बर्बाद कर गये |
देश में अधकचरी योजनाओं को,
वो तो अंजाम दे गये
और आनन- फानन में ,
उनको लागू कर गये |
जनता का भला हो न हो,
मंत्री जी तो बन गये
साथ में कुछ चमचों के भी,
वारे- न्यारे हो गये |
गरीबों की गरीबी,
और वो तो बढ़ा गये
देशो उद्धार के नाम पर,
बस बड़े -२ भाषण दे गये |
वर्तमान परिपेक्ष्य में व्यवस्था पर चोट करती अच्छी भावाभिव्यक्ति…. इस समस्या से निपटने के लिए सामजिक जागरूकता को बढ़ाना देना और रूढ़िवादी मानसिकता में परिवर्तन लाना आवश्यक है !