फिर हुलस के बसंत आया !!
डाली डाली फूल खिल रहे ,
पत्ता पत्ता नया हो गया ,
सूखी दूब भी हरी हो रही ,
देख देख कर मन हर्षाया !
फिर हुलस के बसंत आया !!
देखो ऋतुराज की सेना निकली ,
खेत , वन ,उपवन ,गली ,गली ,
भवरों का गुंजन ,चिड़ियों का कूजन,
कोयलिया ने शोर मचाया !,
फिर हुलस के बसंत आया !!
आम के वृक्ष बौर से सज रहे ,
पलाश के पेड़ पर टेसू सज रहे ,
धूप सुनहरी ,दिन चमकीले ,
सरसों ने पीला परचम लहराया !
फिर हुलस के बसंत आया !!
सुरभित ,फागुनी ,बयार बौराई ,
आशा की कली ,हर दिल मुस्काई ,
राधा मतवाली का मन मोहने ,
मनमोहना ने जाल बिछाया !
फिर हुलस के बसंत आया !!
दीपिका शर्मा
बसंत ऋतू का सुंदर वर्णन !! बहुत अच्छे डॉ. दीपिका !!
Nice work……………….