Homeअज्ञात कविहर्षित मन हर्षित मन Saviakna अज्ञात कवि 07/03/2016 2 Comments संवेदनाओं की लहर इतनी हैं जितनी आकाश में उड़ती हवाए हवाओ में खुश्बू जैसे नवकंज पानी की सतह पर तैरते कमल के पत्ते उन पत्तों पर पड़े जितनी ओस की बुदे उतनी ही संवेदनाओं से पल्लवित, पुष्पित सुगन्धित, आन्दोलित और हर्षित मन सविता वर्मा Tweet Pin It Related Posts कोई तुमसे सिखे……… काजल सोनी अच्छे दिन दूर की बात : Far ahead हमारा साथ About The Author Saviakna 2 Comments Shishir "Madhukar" 11/03/2016 सविता जी एक स्थिर प्रज्ञ ही इतने आनंद की अनुभूति कर सकता है.अति सुन्दर Reply Saviakna 21/03/2016 Dhanyabad…………………….. Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
सविता जी एक स्थिर प्रज्ञ ही इतने आनंद की अनुभूति कर सकता है.अति सुन्दर
Dhanyabad……………………..