आँखें
आँखों की क्या बात करें आँखें तो कई प्रकार की होती हैं
आँखों से आँखें मिल जाएँ तो आँखें चार होती हैं
कई आँखें काली, कई भूरी, कई नीली होती हैं
कई आँखें शोख, शरारती और नशीली होती हैं
कई आँखों में समन्दर की गहराई होती है
कई आँखों में सारी दुनिया समाई होती है
कई आँखों में ढेर सारा प्यार होता है
कई आँखों में प्यार का इज़हार होता है
कई आँखों में इकरार होता है
कई आँखों में इन्कार होता है
कई आँखें इंतज़ार करती हैं
कई आँखें बेज़ार करती हैं
कई आँखों में ह्या होती है
कई आँखों में दया होती है
कई आँखें अन्जान होती हैं
कई आँखें बेईमान होती हैं
कई आँखों में आस होती है
कई आँखों में प्यास होती है
कई आँखों में मस्ती होती है
कई आँखों में जबरदस्ती होती है
इन आँखों के चक्कर में ना पड़ना ये तो मायाजाल है
दोस्तों ये तो हुस्न की सोची समझी प्यार भरी चाल है
इन आँखों के चक्कर में अगर तुम फँस आओगे
तो प्यारे ज़िंदगी भर गुलाम बन के रह जाओगे
लेखक : सर्वजीत सिंह
मंच से पढ़ने लायक आँखों पर सुन्दर रचना जो निश्चित ही लोगों को उत्साहित करेगी
बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी !
नयनो की विविधता को समझाने का अद्भूत अंदाज ….! बहुत खूब सर्वजीत जी !
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ जी !