उलझन और सुलझन जब साथ चलने लगे
गमो मे खुशी मे जब बात चलने लगें
तब अपने दर्द को दिल मे इस तरह छुपा लो
कि दुनिया कदमो के साथ-साथ चलने लगें
होश मे हो या हो जोश मे धैर्य कभी न खोना
क्या पता कहीं किसी मोड़ रात ढलने लगे
अपने वक्त को इतना वक्त दो वक्त पर
या तो साँसें थम जायें या पहाड़ गलने लगें
खुद को लोहा करो पर आस मत तोड़ना
सफर बहुत लम्बा है फिर मुलाकात चलने लगें।
अच्छा लिखा है आपने