अद्भुत बात यह निराली
आसमान में सजाई
चंद्र ने सितारों की थाली,
संध्या की चित्रकारी
है या भोर की किलकारी
पवन हर क्षण मनोहारी,
मधुर एक आंगन बसाया
भावों का सार भी आया
परिंदों ने जिसे सजाया,
नाम रचे कमल हृदय में
भेद नहीं कोई अन्तर्मन में
शब्द बसे जन गण मन में,
प्रगति यहां चहुंओर है
नव रंगो का यह छोर है
नया युग नई सोच है।
………. कमल जोशी ………
bआहूत ही सुंदर रचना है जोशी जी ।
नया युग, नई सोच।
bahut bahut dhanyavad sandeep bhai