सफर में हमसफ़र की तलाश न कर …..
सोचो क्या होगा बीच राह में हमसफ़र ने साथ छोड़ दिया अगर …..
कुछ न बचेगा समय की बर्बादी और अफ़सोस को छोड़कर ….
कोई फायदा न होगा फिर से एक बार पीछे मुड़कर ….
ऊपर वाले ने तुझे अकेला नहीं भेजा है….
तेरे साथ तेरी उम्मीद और खुद का सहारा भेजा है…
और हौसलायों का इक छोटा पिटारा भेजा है ….
ढूँढना है तो उसकी चाभी ढूँढ….
और मत कर भरोसा किसी पर आँखें मूँद….
दो चार नियम है सफलता के
उसको उतार ले अपनी ज़िन्दगी में …
लेना है तो हर पल नाम ले
उस खुदा का अपनी बंदगी में ……
ऊंचाइयों की तरफ देख तो एक बार
हर चीज़े छोटी नज़र आएँगी…..
पर अक्सर सफलता की राह आसान होती नहीं ….
कुछ चीज़ें ज़िन्दगी में आसानी से मिलती नहीं….
संभल के चलना उस सफर के कंटीले पहाड़ पर
वरना चूक हुई तो गलती से चुभ जाएगी …..
अगर पार कर गए वो सफर
तो ये समझ लो तुम्हारी ज़िन्दगी बन जाएगी……
अच्छा अभिव्यक्त किया है अपने मनोभावों को