क्यों रोते हो हमेशा शोहरत-रुपये-पैसे के लिए
क्यों ना खुश रहते हो जितना मिलता है उसमें ..
कभी मिलो उनसे जिनकी शारीरिक संरचना ही अधूरी रह गयी….
तो अहमियत पता चलेगा इस स्वस्थ और परिपूर्ण शरीर का…..
जो मिला है उसमे खुश रहो….
मेहनत करो और मुस्कुराते रहो …..
क्यूंकि
सोचो अगर आँखें न होती तुम्हारी और
तुम्हारे पास एक सुनहरा सोने का महल होता…
तो क्या होता ?? सुख ले पाते उस महल का ?
सोचो अगर तुम्हारा नाम और शोहरत पूरी दुनिया में गूंजता
और तुम्हारे पास कान न होते उसे सुन पाने के लिए तो क्या होता ???
सोचो अगर तुम्हारे पास रुपये से भरा बैग होता…
और तुम्हारे पास ये दोनों हाथें ना होती
तो क्या होता ?सुख ले पाते उस पैसों का अपने अंदाज़ में ?
सोचो एक महंगी गाडी होती तुम्हारे दरवाजे पर
और तुम्हारे ये दोनों पैर ना होते उसे चला पाने के लिए
तो क्या होता ? सुख ले पाते उस महंगी गाड़ी का अपने अंदाज़ में ?
नहीं ना …
तो फिर शुक्रगुज़ार हो उस ख़ुदा का
जिसने तुम्हारी ये स्वस्थ और परिपूर्ण शारीरिक संरचना की ..
अगर स्वस्थ हो तो रूपये -पैसे- शोहरत सब कमा लोगे …..
उसके लिए रोने की जरुरत नहीं…
ईमानदार और मेहनती बनो ….
सफलता का रास्ता खुद ही बन जायेगा….
~अंकिता आशू ~
अच्छी सोच दर्शाती कविता
Thanku Shishir sir