नाम- रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’
मैं अभी 12th पास करके निकला हूँ
मेरी हिंदी मे शुरू से ही रूचि रही है।
अब मैं प्री_मेडिकल की तैयारी कर रहा हूँ
और उसी सन्दर्भ मे मेरी पहली कविता भी है…
जहां तक मैं समझता हूँ
एक प्री-मेडिकल स्टूडेंट के साथ शायद ऐसा ही होता है,क्योंकि वो इसे ही सबकुछ मान बैठता है और अपना समय बर्बाद करता रहता है साल साल दर साल
और जब उसे एहसास होता है तबतक काफी वक्त निकल चुका होता है….
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स्वप्न की तलाश मे,वह फिर रहा इधर उधर;
इस अंधी दौड़ मे,सारी दुनीया से बेख़बर;
चल पड़ा आँखे मूंदकर;
झटके लगे फिर इस कदर,गिर पड़ा राही टूटकर;
न फ़िक्र कर,न फ़िक्र कर;
यूँ ना कर खुद को दरबदर;
‘हर कोई नहीं होता सफ़ल’ये सोचकर ;
आ लौट चल;
केवल यही जीवन नहीं,हैं और भी लाखों डगर;
ना बैठ ऐसे हारकर;
प्रयत्न कर!!
प्रयत्न कर!!
(रणदीप चौधरी;भरतपुरिया)
??
verry good….yahe soch honi Chaney jeewan m.
जी सही कहा आपने
अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद