सास और बहू
सास और बहू की अगर आपस में जमती
तो इस दुनिया में किस्सों की खिचड़ी ना बनती
हर रोज़ हर घर में एक नया किस्सा होता है
सास-बहू के झगड़े में बस लड़का ही रोता है
शाम को घर आने पर बीवी ईक नई कहानी सुनाती है
माँ को कुछ कहो तो माँ उल्टा ही चिल्लाती है
बीवी माँ को गलत बताती है
तो माँ बीवी को गलत ठहराती है
कौन गलत है कौन सही मुश्किल है ये कहना
दो पाटों के बीच में लड़के को है पिस्ते रहना
शादी से पहले तो माँ बहुत प्यार टपकाती है
पर शादी के बाद ना जाने क्यूँ आग बन जाती है
पर इसमें उसका भी कोई दोष नहीं,
वो तो बस बदला लेती है
जितने दुःख उसने अपनी सास से सहे हैं
उतने ही दुःख वो अपनी बहू को देती है
सास बहू के झगड़े की सदियों से चली आई है रीत
इस रीत को तोड़ के कैसे लायें प्रेम, प्यार और प्रीत
इस दुनिया की सास और बहू बस एक बात को जाने
तो खत्म हो जायेंगे सारे झगड़े
अगर बहू सास को माँ और सास बहू को बेटी माने !
लेखक : सर्वजीत सिंह
Satya Vachan ………
Thank you Madhukar Jee.