बेनकाब
दिल की हर कली खिलके गुलाब हो जाती
शबनम तेरे चेहरे पे पड़के शराब हो जाती
दिल की हर कली खिलके गुलाब हो जाती
शबनम तेरे चेहरे पे पड़के शराब हो जाती
पतझड़ में खिल जाते गुन्चे हर शाख पर
अगर तेरी सूरत…… बेनकाब हो जाती
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लेखक : सर्वजीत सिंह
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वाह क्या बात है सर्वजीत जी …..!!
वाह वाह ………………………………………………
मधुकर जी बहुत बहुत धन्यवाद !
निवातियाँ जी बहुत बहुत धन्यवाद !
wah wah………