कण कण जिसका क़र्ज़ है हमपर, उस माटी का क़र्ज़ चुकाना है .
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है
हब्शी भेड़ियों की लार टपकती
उस अग्नि में लाज सिसकती
उस सिसकी की करूँ क्रंदना
निर्वस्त्र हो गयी मानव वेदना
उस दानव के पंजो से दामिनी का दामन बचाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है
बिन विद्या वो है अपंग
सहमत नहीं कोई चलने को संग
नेत्रों से बहे जब अविरल धारा
कलम बनेगी उसका सहारा
विद्या का द्वीप जलाना है तो हर बेटी को पढ़ाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है
कट्टरता है देश का दुश्मन
उसके चपेट में युवा मन
अपने लोभ में विवश कुछ नेता
एक को अनेक क्यों कर देता
तिरंगे का रंग बचाना है तो आपस की दुरी मिटाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है
प्रेम स्वभाव है प्रकृति अपनी
मेल भाव है संस्कृति अपनी
कई धर्म है, कई जात है, कई राज्य कई भाषा
सर्व हितानी सर्व सुखानी है , है यह परम अभिलाषा
अनेकता में एकता सार्थक करना है तो, भारतीयता ही पहचान बनाना है
एक सोच है एक लक्ष्य, भारत को श्रेष्ठ बनाना है
कवि – भोला शंकर सिंह
अच्छी रचना
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Dhanyavaad…. Main jaroor aap se what’s app par join karunga
भोला शंकर जी ,आप की wish list में हम सब की wishes सम्मिलित हैं ।भगवान इन्हें पूरा करे ।
एक अच्छी कविता ।
Dhanyavaad bimla jee…..main apne taraf se koshish karta rahunga
Thanks bimla jee…..main apne taraf se koshish karta rahunga
सकारात्मक भाव प्रस्तुत करती खूबसूरत रचना !!
Thank u Nivatiyajee….aap Sab ka support chahiye