Homeअज्ञात कविगुलजार से तुम गुलजार से तुम Saviakna अज्ञात कवि 27/02/2016 2 Comments अंधेरी रात में पूरे चाँद से तुम ठिठुरती रात में मधम आग से तुम अधजगी रात में पूरे नींद से तुम घुप अंधेरे में एक चिराग से तुम बन्द घर में खुल जाते खिड़की से तुम ज्यादा मेरे लिए थोड़े अपने लिए तुम नितान्त तन्हा मन में गुलजार से तुम सविता वर्मा Tweet Pin It Related Posts हल निकाले हम – अनु महेश्वरी अल्फाज़ रिश्तों का तानाबाना – अनु महेश्वरी About The Author Saviakna 2 Comments Shishir "Madhukar" 28/02/2016 अद्भुत प्रेम रचना. वाह सराहने का क्या अंदाज़ है Reply Savita 29/02/2016 Bahut bahut dhanyabad Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
अद्भुत प्रेम रचना. वाह सराहने का क्या अंदाज़ है
Bahut bahut dhanyabad