तुम जिसे ठुकरा गयी, वो अब जग को रास आ रहा है,
जो सुना तुमने नहीं वो धून ज़माना गा रहा है,
तुमने बोला था न बरसेगी जहाँ एक बूँद भी कल,
उस जमीं के नभ पे इक्छित काला बादल छा रहा है,
रात के डर से अकेला तुमने छोड़ा था जिसे कल ,
उसकी खातिर आज सजकर, सूर्य का रथ आ रहा है,
काँच का टुकड़ा समझकर फेंक आई तुम जिसे थी,
पैसों के बाजार में हीरा बताया जा रहा है,
हार की अपनी वजह, जिसको बता आई कभी तुम,
आज हर कोई उसे पारस समझ अपना रहा है,
तुम हकीकत में न कर पायी कभी सम्मान जिसका,
अच्छे अच्छों के ह्रदय का वो सदा सपना रहा है,
वो अभागा था या तुम हो,स्वयं ही ये निर्णय करो तुम,
आज तुम बंजर हो, उसका दिल सदा गंगा रहा है …
विरह वेदना को आपने अच्छे शब्द दिए हैं
Thanks for your praise @ Shishir ji, hope you liked it 🙂
Excellent and Very expressive …. 🙂 í ½í±í ½í±©
thanks a lot Farhat… 🙂
Nice one……:) 🙂 🙂
thanks you shalu 🙂
Great One….really touching…!!
thank you Jai Arya ji 🙂
tanhai ke aalam me akshar hota hai o bewfa hote hai aur ham kisi ke chand hote hai
bahut khub achcha likha hai dil se likha hai
dhanyawaad ashish ji…