शर्मा जी का कुत्ता
शर्मा जी आप इन्सान तो बहुत भले हैं,
फिर ये कुत्ता पालने क्यों चले हैं
ये रात को बहुत चिल्लाता है
हमारी मीठी नींद उड़ाता है
इसका आप कुछ इलाज कीजिये –
शर्मा जी ने कहा, अजी साह्ब रहने भी दीजिये
कुत्ता पालने से आदमी अमीर लगता है
हम अन्दर आराम से सोते हैं, ये बाहर जगता है
शर्मा जी का आजकल कुछ अलग ही स्टाईल है
गर्दन में थोड़ी अकड़ और होटों पे स्माईल है
शर्मा जी ह्मसे हिन्दी में और कुत्ते से अंग्रेजी में बात कर रहे थे
उस समय हम अनपढ़ और वो दोनों पढ़े लिखे लग रहे थे
ये देख कर हमें भी जोश आ गया
घर आकर कहा – हम भी कुत्ता पालेंगे
श्रीमति जी बोलीं – हम एक को तो संभालते हैं, दो को कैसे संभालेंगे
मैनें कहा – ये क्या बदतमीज़ी की बात है
तो वो बोलीं – तुम दोनों की एक ही जात है
घर को गन्दा करते हो,
कुछ कह्ती हूँ तो गुर्राते हो पंगा करते हो
ये सुन कर हमें लगा कि श्रीमति जी की बात में कुछ तो सच्चाई है
कुत्ते की बात करके हमनें अपनी इज्ज़त गंवाई है
हमने पकड़ लिए अपने कान
अब लेंगे ना कुत्ते का नाम
पर आज कई महीनों बाद भी शर्मा जी अकड़ कर निकलते हैं स्टाईल से
और हमारी नमस्ते का जवाब देते हैं अपनी टेढ़ी सी स्माईल से
हमारी तो कुत्ता पालने की इच्छा बस मन में ही रह गई
और अपनी अकड़ कर चलने की चाह आँसूओं में बह गई
लेखक – सर्वजीत सिंह
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मज़ेदार हास्य रचना
बहुत अच्छे सर्वजीत सिंह जी, कविता पढ़कर बहुत मजा आया | बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने |
हास्य व्यंग के माध्यम से इंसानी जीवन का कुत्ते से तुलनात्मक प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण !!
इस विषय पर मेरी एक रचना शीर्षक “आदमी V/S कुत्ता” पर नजर डालकर अपने विचार दीजियेगा !
बहुत बहुत धन्यवाद !