आया था नया-नया स्कूल मे जब,
पिंजरा सा लगा मूझे स्कूल ये तब.,
मगर आज यही पिंजरा है मेरा संसार,
अब इस पिंजरे से करता हूँ प्यार..,
पहली बार जब स्कूल आया तो घर जाने को रोया
आज स्कूल छोडने पे रो रहा हूँ,
लग रहा है खूँशिया खो रहा हूँ..,
खो रहा हूँ अपने टीचर,
खो रहे है मेरे यार..,
अब इस पिंजरे से करता हूँ प्यार…!
अब ये पंक्षी भरने वाला है उडान,
साथ है कूछ यादे
और
सिखा हूआँ ज्ञान..
मगर नही सून सकता स्कूल के दरवाजे की पूकार,
और अब इस पिंजरे से करता हूँ प्यार..,
कूछ पल जो रहे बड़े कमाल के,
कूछ यादे जो रखी है मैने संभाल के.,
उन लम्होँ को याद कर कल मूस्कुराऊगाँ,
कल इसी पल को लेकर आँखे भिगाऊगाँ.,
पहले था जिसे छोडने का इंतजार,
अब इस पिंजरे से करता हूँ प्यार…!