निकले थे लेकर अरमानो का पिटारा जीवन के सफर पे
खट्टे मीठे अनुभवों ने खुशियो की झोली खाली कर दी !
भटकते रहे दर – बदर होकर वक़्त के रथ पे सवार
खो गयी मंजिल तो कश्ती लहरो के हवाले कर दी !
जब मिला न कोई दर्द बाटने वाला हमसफ़र हमे राह में
लेकर सहारा तिनको का जिंदगी तूफ़ानो के हवाले कर दी !
हर एक रंज -ओ-गम को रखते रहे समेत कर पहलू में
हृदय की गाथा आंसुओ की स्याही से कागजो पे लिख दी !!
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०___डी. के. निवातियां___०
वाह क्या खूब भाव है निवातियाँ जी. दर्द शब्दों में आ गया
धन्यवाद शिशिर जी ……!!
बहूत बढ़िया ……….
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धन्यवाद अनुज ……!!
Beautiful poem as ever .
Thanks for the encouragement BIMLA Ji.