देश की हर आबादी ने,मांगी थी अपनी आज़ादी
क्या ये आज़ादी बस थी अंग्रेजी हुकूमत तक
अंग्रेजी हुकूमत से आज हर आबादी आज़ाद है
फिर भी भारतवंशी आज दाने-दाने को मोहताज है
सोच रही है हर आबादी ,कब मिलेगी इनसे आज़ादी
नारी अत्याचार से ,दानव भ्रस्टाचार से
अशिक्षा के हथियार से,जाति-धर्म के दीवार से
सोच रही है हर आबादी ,कब मिलेगी इनसे आज़ादी
महगाई के डायन से,बेरोजगारी के दामन से
आतंकवाद के रावण से,बढ़ते हाथ दुस्सासन से
सोच रही है हर आबादी ,कब मिलेगी इनसे आज़ादी
भुखमरी की आग से ,बूँद-बूँद की प्यास से
गन्दगी के अम्बार से,गरीबी की जाल से
सोच रही है हर आबादी ,कब मिलेगी इनसे आज़ादी
बहुत सुन्दर समसामयिक रचना. लिखते रहें
धन्यवाद………
Very nice thought….
धन्यवाद अनु जी……..
very nice thought…..and written
thanks juber……
bhut sundar rachana ……………..
धन्यवाद मधु जी…..
bahut sundar………….
धन्यवाद………
Beautiful……………………………!
thanks nivatiya ji….