किसी किस की बात करे यारो यंहा पर
ना जाने, जग में क्या – क्या खराब है !!
किस – किस को सुधारे यंहा तो सब कुछ खराब है
किसी की फसले खराब है तो कही नस्ले खराब है
शिक्षा के मंदिर यंहा अब अपराधिक अड्डे बन गए
कोई शिक्षक खराब है,कही शिष्य मण्डली खराब है !!
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारों में जाते डर लगता है
सुना है आजकल धर्म के रक्षको की नियत खराब है !!
किस कदर बिगड़ गए हालात आज अहले चमन के
ऐशो आराम से जीने वाले कहते है फिजा खराब है !!
बनाने वाले ने तो बनाया था बड़ी शिद्दत से हर शै :को
मगर कही नज़ारे खराब हो गए, कही नजरे खराब है !!
अब किस को दोष दे ” धर्म ” इस खुदगर्जी दुनिया में
हालात कैसे सुधरेंगे वहां, जंहा लोगो की सोच खराब है !!
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<<<---डी. के. निवातियां --->>>
वर्तमान भारतीय हालातो पर सुन्दर व्यंग
रचना नजर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी ….!!
बहुत बढ़िया, निवातियां जी , ” रक्षकों की नीयत ” की तो बात है फिर चाहे धर्म के हों, देश के हों या कुछ और के हों ।बहुत सही कहा ।
अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद बिमला जी ….!!
क्या तीखा कटाक्ष है….वाह…लाजवाब…..
बहुत बहुत आभार आपका