ब्रह्माण्ड में अनेको ग्रह और तारे ,
विचरण करते मारे मारे ,
पर जीवन ना सजा पाये,
मिल कर भी ये सब बेचारे,
यह सौभागय केवल ,
हमारी पृथ्वी ने पाया ,
और हमें सौभाग्यशाली बनाया |
प्रकृति ने चित्रकार की भांति,
रंग भर इसे सजाया,
शिल्पकार की भांति घड़ ,
रमणीय बनाया,
जल भर ऋतू चक्र बनाकर,
विविध वनस्पतिओं व ,
जीवों ने जीवन पाया ,
जीवों मे से निकला इक,
ऐसा जीव ,
जिसकी बुद्धि के आगे सब निर्जीव,
उसने ऐसा खेल रचाया ,
काया पलट दी धरती की ,
जल, थल , नभ जीत ,
सर्वोच्च होने का गौरव पाया |
सफलता अहंकार की जननी है ,
अहंकार पतन का दाता,
मानव नामक इस प्राणी ने ,
प्रगति की नाम पर किया विनाश,
लुप्त हो गए अनेको जीव ,
दूषित हो गई धरती ,जल और आकाश,
बढ़ने लगा तापमान ,
मौसम न रहा पहले समान,
कही सुखा, कही वर्षा आपार ,
बिगड़ गये जीवन आधार ,
जंगल कटे, आये कंक्रीट जंगल ,
अब कैसे हो प्राणी तेरा मंगल,
बना डाले विभिन परमाणु हथियार ,
चल जाएँ , लुप्त हो जीवन,
फैल जाये अंधकार |
अब तो प्राणी होश मे आ ,
जनसँख्या पर नियंत्रण पा,
देर बहुत हो चुकी,
उम्मीद अभी बाकि है ,
रोक दे विनाश का प्रकरण ,
बचा ले धरती का पर्यावरण |
आपने सुन्दर सत्यपरक रचना लिखी है
Dear Shishir, kindly read my below mentioned comment you will understand me. i will be greatful to rectify my mistakes, kindly feel free.
कृपया भ्रमांड को ब्रह्माण्ड लिखें तथा वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियों का निराकरण कर लें तो यह एक श्रेष्ठ रचना है|
Dear Vimal Kumar Shukla, thank you very much for your honest comment. Let me tell you something about my self. I have studied Hindi upto class X only. I am a science graduage in Mathematics, Physics and Chemistry. I was born in Dehradun and my schooling i.e. upto class XII was done in Dehradun, after that our family moved to Hyderabad. So my exposure to Hindi is only upto class X. I am so delighted kindly explain me what do you mean by वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियों as mentioned by you. I am planning to study Hindi to improve. I have started doing poetry just two months back, don’t get surprised it comes naturally to me which i could not understand all these years and my thought process is much better in English. Kindly mail me your Mobile No.
It’s a really nice poem
वास्तविकता को समेटे सृष्टि के कारको का विश्लेषण करती खूबसूरत रचना !!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
अच्छा लिखा है आपने.
Thank You Shri Vijay Kumar Ji.