“एक पल और जी लें तेरी आँखों में,
ये पलके मत झुकाना
एक पल और पीले तेरी आँखों से, ये पलके मत झुकाना।”
“ये एक एक पल करके कुछ पल बन जायेंगे,
कुछ पल तो कम कम से कम तेरी आँखों में गुजर पाएंगे ,
जिंदगी जी है अकेले में तनहा रह कर,
तेरी आँखों में चैन थोडा पाएंगे।”
“तेरी आँखों की क्या तारीफ करूँ मैं,
चाँद-तारे भी इनके सामने धुन्धलायेंगे,
तेरी आँखों का गर साथ हो, सफ़र में मेरे,
इक पल में हम मंजिल पे पहुँच जायेंगे।”
“आइना ले के कभी गौर से देखो इनको,
इन हसीं झील सी आँखों में, तुम्हे हम ही नजर आयेंगे,
इन हसीं झील सी आँखों में, तुम्हे हम ही नजर आयेंगे”
अति सुन्दर रचना
धन्यवाद सर…