चलो इस प्यार में हम तुम कुछ ऐसा कर जाए
जिस्मों से जुदा होने न दें एक दूजे के घने साये.
सफर में साथ चलने से नई राहें निकलती हैं
इस सच की बदौलत ही उमंगें भी मचलती हैं.
जीवन में सुकून मिलना कभी आसाँ नहीं होता
जिसके पास कुछ है ही नहीं वो कुछ नहीं खोता.
कभी ऐसा भी होता है कि दिल में आग होती है
मगर दुनियाँ की नज़रों के लिए आंसू नहीं होता.
क्या होगा कल ना तुझको है पता ना मुझको है मालूम
लेकिन यकीन मुझको है मधुकर जो भी होगा सही होगा.
खुदा के सामने सज़दे में भी गुज़र जाती है सारी उम्र
नमाज़ी सोचता है एक दिन तो दुआओ का असर होगा.
शिशिर “मधुकर”
खूबसूरत रचना शिशिर जी ..
सराहना के लिए आपका आभार ओमेन्द्र
खूबसूरत अभिव्यक्ति शिशिर जी !
सराहना का बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना शिशिर जी ………….!!
रचना पढ़ने और सराहने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया निवातियाँ जी .
बहुत खूब लिखा हे जनाब
विनोद जी रचना को सराहने के लिए आपका आभार