सुयोधन को लोगों ने द्वर्योधन बना दिया ,
उसके नाम का बवंडर बना दिया ,
क्या वह राजकुमार नहीं था
या उत्तराधिकारी नहीं था ,
सभी मिल जुल कर उसे जिद्दी बना दिया ,
सभी दोशी हैं उतना
जो लोग दोशी मानते हैं उसे जितना ,
बाल मन में ही उसके
गुरु माता-पिता संगे सम्बन्धी मामा ने
उस में राग द्ववेश बिठा दिया ,
लक्ष्या गृह के पहले लोगों ने
मिलन सामारोह और मेला लगा दिया ,
जुवा के दुशचक्र के पहले
द्वरोपति ने उसे अंधा बना दिया ,
सभी ने जो अनावश्यक प्रतिज्ञा किया
वचन दिया और वचन लिया
सभी के लिए उसे ही दोशी ठहरा दिया ,
सुयोधन को लोगों ने द्वर्योधन बना दिया
उसके नाम का बवंडर बना दिया।
आज भी ऐसे लोग भ्रष्टाचारी है जो सयोधन से दूर्योधन कई राजकुमारो अपने पथ से भटका रहे है अच्छी रचना सराहनीय
समीक्षा करने के लिए दिल ? से धन्यवाद श्रीमान।