जीवन मूल्य,नैतिक मूल्य,वस्तु मूल्य
जन्म से ही मानव मूल्यों से बंधा है
कभी ये मूल्य तो कभी वो मूल्य
सदैव उसके साथ चलता है
जिन्दगी का हर चरण
इन्ही मूल्यों तले घिसता है
अपनी पहचान की खातिर मानव
लम्हा-लम्हा छीजता है
भौतिकता के इस युग में
बस वस्तु मूल्य ही जीतता है ।।
“मीना भारद्वाज”
“अपनी पहचान की खातिर मानव
लम्हा-लम्हा छीजता है
भौतिकता के इस युग में
बस वस्तु मूल्य ही जीतता है”
आज का सच बताती खूबसूरत रचना मीना जी.
सराहना के लिए हार्दिक आभार शिशिर जी!
खूबसूरत रचना मीना जी ..पर ये मूल्य ही मानव को अन्य प्राणियों से पृथक बनाते है ..
सही है ओमेन्द्र जी ,मूल्य ही मनुष्य को अन्य प्राणियों की तुलना में श्रेष्ठ बनाते हैं मगर वर्तमान में इन का सन्तुलन बिगड़ सा गया है।रचना की सराहना के लिए आभार !
जीवन की सच्चाई उजागर करती खूबसूरत रचना !! मीना जी बहुत अच्छे !
रचना की सराहना के लिए धन्यवाद निवातियाँ जी.