जब मनमीत मिले ना कोई किससे बात करें मन की
कोई तो होगा पास है जिसके कुंजी मेरी उलझन की
जो भी मिला हाथ वो छूटा जाने हर पत्ता और बूटा
जन्मों संग रहने का जुमला अब तो लगता है झूठा
हम सब रिश्तों के जाल में उलझे डर डर के जीते हैं
नकली हँसी हँसके जीवन में जहर के प्याले पीते हैं
जो डर जाते हैं जीवन में बस छोटी-छोटी बातों से
वो कैसे जूझेंगे हँसकर दुःख की सब काली रातों से
जो काँटों की चोट से डरकर गुलशन में ना जाएगा
आखिर वो ताजे गुलाब के फिर हार कहाँ से पाएगा .
शिशिर “मधुकर”
बिना जोखिम उठाये जीवन में कुछ प्राप्त नही होता, यंहा तक की जीवन मृत्यु भी !
सफलता का मन्त्र बताती खूबसूरत रचना…..शिशिर जी !!.
रचना पढ़ने और अमूल्य प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हृदय से शुक्रिया निवातियाँ जी
जीवन को आशावाद से जोड़ती सुन्दर रचना !!
मीना जी रचना पढ़ने और सराहने के लिए धन्यवाद.
निशब्द हूँ मैं …………. क्या प्रतिक्रिया दी जाय …………. बस ह्रदय कहता है की बस एक बार फिर से जिंदगी से प्यार हो जाय …… बहुत बढ़िया मधुकर जी ………….
कठिनाइयों को जीत कर जब सफ़लता का सुख मिलता है वहकुछ अलग ही होता है ।अति प्रेरणादायक ।
आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बिमला जी हार्दिक आभार
बहुत बहुत आभार सुशील जी आपकी दमदार प्रतिक्रिया के लिए
शिशिर जी मुझे लगता है की आप ने किसी से बे इंतहा प्यार किया पर वो समझ नहीं पाई है. मै आपके दिल का दर्द समझ सकता हु! मुझे आपके टूटे दिल से बहुत हमदर्दी है ! बहुत अच्छी कविता लिखी बहुत अच्छे से दिल की बात बाय की है !
Thank you very much for your appreciation.
शिशिर जी
बहुत अच्छी से स्वरा है कविता को आपने प्यार के संदर्ब मे लिख कर मे आपका आभार प्रकट करती हूँ. ! क्या कोई है जिसे आप दिल से प्यार करते है ! या फिर युही रच रहे हो ये कविताय !
केतकी जी रचना पढ़ने और सराहने के लिए अनेकों आभार. आप मानेगी कविता लिखने के लिए कल्पनाशीलता कीआवश्यकता होती है जो होती सभी के पास है लेकिन उसे शब्द दे देने की कला कम लोगों के पास होती है. जिसके पास इस कला के साथ अधिक शब्द ज्ञान और कल्पनाशीलता होती है वही बेहतर रचनाकार होता है. मैं तो इस फन का एक बहुत छोटा छात्र हूँ.
You are very right. Life is not any assumption its real. But every one plays their roles with myth or otherwise. We do not know how and when we breathe first and so on we never be able to speak before the last breathe.
केतकी जी आपका अभिप्राय मुझे समझ नहीं आया. कृपया अपनी बात को स्पष्टता से हिंदी में कहें जिससे मैं उचित उत्तर दे सकूँ. गलत अंग्रेजी से समझ ही नहीं आ रहा कि आपका पहली और आखरी साँसों से इस रचना के सन्दर्भ में क्या मतलब है.
आपने बहुत सही कहा है ! मेरा अभिप्राय जीवन के सच और कल्पना के अंतर से है ! जब हम सबसे पहली साँस लेते है तब भी हमें कुछ पता नहीं होता है ! और जब हमारी अंतिम साँस आती है तब भी कुछ पता नहीं होता से है ! अपना पूरा जीवन हम सिर्फ एक कल्पना के साथ जीते है जो हमेशा सच्चाई से परे होती है ! जीवन का मतलब सचाई होना चाहिए न की कल्पना.! हर व्यक्ति में सब कला होती है !पर निपुणता तो सिर्फ उसकी अभिरुचि से ही आती है! जो भी हो अगर आपको मेरी बात समझ नहीं आई ! तोा इसका मुझे खेद है ! अगर मैंने गलत अंग्रेजी लिखी तो मई छमा चाहूंगी !